क्या 2029 में भी नहीं आ पाएगी काँग्रेस सत्ता में !!

नतीजे लोकसभा चुनाव 2024

2029

आम चुनाव 2024 के नतीजे 04 जून को आ चूकें हैं। नतीजे Exit Poll से काफी अलग और ज्यादातर अनुमानों से बहुत अलग रहें हैं। आबकी बार 400 पार का नारा देने वाली पार्टी बीजेपी, 273 का आकड़ा भी न छु सकी लेकिन 240 सीटें लाकर देश की सबसे पार्टी बनी रही । वहीं पिछले लोकसभा में 52 सीटों पर सिमट चुकी कॉंग्रेस 99 सीट जीत कर दूसरी नंबर पार्टी बन गई है। नतीजों से यह तो साफ हो गया कि 2024 में भारत में 2009 के बाद एक बार फिर  गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। 

रविवार 09 जून 2024 को शाम 6 बजे  NDA गठबंधन के नेता श्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहें हैं। 07 जून 2024 को पुराने संसद भवन के सेंट्रल हाल में NDA के सभी घटक दलों ने मोदीजी को अपना नेता चुना था। 

नतीजों के बाद अटकलें लगाई जा रही थी क्या मोदी उसी जोश, उसी तेजी से सरकार चला पाएंगे या गठबंधन के बेड़ियों में विकास की चाल थोड़ी धीमी हो जाएगी। परंतु 07 जून के अपने सम्बोधन में मोदीजी ने NDA के सभी घटक दलों में भरोसा जताते हुए यह साफ किया उनके काम करने की शैली में कोई परिवर्तन नहीं आएगा और वे देश के विकास की गति को थमने नहीं देंगे। मोदी ने अपने “10 साल तो ट्रैलर था, पूरी पिक्चर अभी बाकी है” वाले कथन को दोहराते हुए कहा की उनकी तैयारी अगले 10 साल की है। 

मोदीजी की बातों पर मुहर लगते हुए घटक दलों के नेताओं ने भी इस बात का भरोसा जताया की NDA की गठबंधन की सरकार में भी देश के विकास की गति में कोई कमी नहीं आएगी ।  

जहां नतीजों ने सबसे ज्यादा चौकाया ..

भाजपा के लिए नतीजे बिल्कुल अपेक्षा के अनुकूल नहीं थे, यह 04 जून की शाम भाजपा कार्यालय में उपस्थित उनके नेतागण के चेहरे पर साफ छलक रहा था। जहां सोशल मीडिया पर वाइरल मोदीजी का उदास चेहरा था वहीं उनके ज्यादातर कार्यकर्ताओं के झुके हुए कंधे , 400 पार न कर पाने से ज्यादा 273 के जादुई आकड़े को न छु सकने का गम, बहुमत की सरकार न बना पाने के डर से ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ता देर रात भी आकड़ों के फेरबदल होने की संभवना की आशा कर रहा था। 

पर आखिर ऐसा हुआ कैसे  ??

यूपी और महाराष्ट्र ने चौकाया और शायद बंगाल और राजस्थान ने भी । 

भारतीय राजनीति में कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है।  उसी यूपी में  जहां  2019 में भाजपा 62 सीटें लाई थी वहीं 2024 में भाजपा 33 सीटों में सिमट कर रह गई । और महाराष्ट्र में जहां 2019 में 23 सीटें आई थी वही 2024 में केवल 9 सीटों से संतुष्टि करनी पड़ी। बंगाल और राजस्थान में भी भाजपा की सीटें 2019 की तुलना में घटीं है । 

पर चुनावों  में अपने मैनेजमेंट के लिए प्रसिद्ध पार्टी, भाजपा जो कि अपने बूथों में पन्ना प्रमुख / अर्ध पन्ना प्रमुख तक बना कर काम करती है, आखिर उसका आँकलन इतना गलत कैसे हो गया। 

तीन राज्यों में भी भाजपा बनाने जा रही है सरकार

आम चुनाव में 99 सीट लाने के अति उत्साह से कॉंग्रेस का ध्यान आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम के चुनावों की तरफ गया ही नहीं जहां से काँग्रेस का सुपरा साफ हो चुका है। आंध्र प्रदेश में 175 में से  शून्य , ओडिशा में 147 में से 14, अरुणाचल प्रदेश में 60 में से 1, सिक्किम में 32 में से शून्य पर रही कॉंग्रेस अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करती नहीं दिख रही। 

वहीं भाजपा अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद सीटों के विश्लेषण के लिए स्थानीय लोगो से बात चीत में जुट चुकी है। 

चुनावी विश्लेषकों की माने तो, भले ही भाजपा की सीटें घाटी है पर इसे भाजपा के बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक माना जाना चाहिए क्योंकि विश्व भर में लगातार तीसरे टर्म में सरकार बनाना बड़े से बड़े और लोकप्रिय से लोकप्रिय नेता के भी बस में नहीं रहा है । 

एंटी-इन्कम्बन्सी (सत्ता विरोध) जहां आम तौर पर दूसरे टर्म के बाद एक आम बात होती ही है, वहीं 2020 से 2022 के बीच कोविड की मार भी रही, किसान आंदोलन, पहलवान आंदोलन  जैसे मुद्दे भी देश में हुए। बजाए इसके सरकार का 240 सीट लाना कबील-ए-तारीफ है। 

लेकिन भाजपा और उसके समर्थकों की अपेक्षा तो 400 पार कि थी …… 

और शायद यही कारण है कि 240 सीटें जीत कर देश की सबसे पार्टी बनने के बाद भी उन्हें यह जीत हार जैसी लग रही है। और इसीलिए 04 जून 2024 शाम से ही भाजपा में समीक्षा बैठकों का दौर चालू है।

मोदी के 10 साल की तैयारी, क्या पड़ेगा विपक्ष पर भारी ..

RSS को भारतीय जनता पार्टी की जननी माना जाता है। भाजपा के ज्यादातर बड़े नेता संघ के किसी न किसी पद में अवश्य रहें है। संघ अपने अनुशासन और देश प्रेम लिए विख्यात है। सामाजिक कार्यों में सम्मिलित होने की वजह से जमीन से जुड़ाव संघ की ताकत है । तो संघ के होते हुए भाजपा के पैरों तले जमीन कैसे डोल गई ?? 

इस सवाल का जवाब पता लगाने 4 जून की देर शाम से ही समीक्षा का दौर चल पड़ा ।  

चुनाव नतीजों के अनुसार स्पष्ट रूप से एनडीए की सरकार बनती दिखाई दी लेकिन भाजपा जीत का जश्न मनाने की जगह कम हुई सीटों के कारण की खोज में लग गई। 

एक तरफ इस NDA अपने घटक दलों के साथ तोल मोल कर रही थी, दूसरी ओर एक- एक कार्यकर्ता को भाजपा कार्यालय से फोन लगाने का सिलसिला शुरू हुआ। अर्ध पन्ना प्रमुख, पन्ना प्रमुख से लेकर बूथ कार्यकर्ता , जिला अध्यक्ष से लेकर राज्य के प्रभारी तक तलब किए गए। जिन राज्यों में सीटें काम हुई उस राज्य में तो भगदड़ थी ही जहां अपेक्षाकृत अच्छे नतीजे उनसे भी बातचीत की गई। 
नरेंद्र दामोदर दस मोदी ही प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे यह सुनिश्चित करने के साथ साथ भाजपा संगठन यह भी सुनिश्चित कर लेना चाहता था कि अगले चुनाव में इस चुनाव की गलतियाँ दोहराई न जाएँ। 

ANI के एक इंटरव्यू रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने कहा था, “2014 के चुनाव के जीत के बाद, देर शाम हम जब बधाई देने नरेंद्र मोदी जी से मिलने गए तो उन्होंने 2019 के चुनावों की तैयारी का ब्लूप्रिन्ट पहले से बना रखा था , 2014 में कहाँ-कहाँ क्या-क्या गलती हुई, उसकी सूची बना कर रखी थी “। 

 उसका नतीजा 2019 में अपेक्षा से ज्यादा 303 सीटें भाजपा जीती । 

2024 के नतीजों के बाद युद्ध स्तर कि समीक्षा यह बताती है कि भाजपा अपनी गलती दोहराना नहीं चाहती। और संघ का हाथ भाजपा के सर पर होने की वजह से सभी कमजोर क्षेत्रों में 2029 के लिए काम अभी से शुरू किए जाएंगे जिसका परिणाम निश्चित ही 2029 में देखने को मिलेगा । 

भाजपा के लिए एक बहुत बड़ा काम भाजपा के वे समर्थक भी करते हैं जो भाजपा के कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा के साथ जरूरत पड़ने पर उनकी आलोचना भी करते हैं। सोशल मीडिया से लेकर चाय की टपरी तक भाजपा के समर्थक भी कम सीटें आने की समीक्षा करते नजर आ रहें है। और अपनी योग्यता अनुसार अपनी बात अपने नेता तक पहुँचाने के लिए कभी सोशल मीडिया कभी न्यूज चैनल का सहारा ले रहा है। 

वही 52 सीट से 99 सीट पाकर काँग्रेस तथा इंडी गठबंधन के कुल 234 सीटों पर विजय से उत्सव का अलग ही माहौल देखने को मिला। जहां एक तरफ 8500/- रुपए प्रति महीने महिलाओं के खातों में डालने के वादे  को पूरा करवाने 04 जून से ही महिलायें काँग्रेस सपा कार्यालयों के बाहर लाइन लगाकर खड़ी नजर आई वहीं दूसरी तरफ 8500/- का गारंटी कार्ड चुनाव से पहले बटवाने को लेकर धारा 123 के तहत मामला कोर्ट पहुँच गया है। 

99 सीट पाकर काँग्रेस उत्साह में यह भूल गई की 4 राज्यों मे भी चुनाव हुए थे जहां से उसका सुपर साफ हो चुका है। लोकसभा चुनाव 2024 में काँग्रेस और उसके कई नेता के ऊपर फेक न्यूज फैलाने, डीप फेक वीडियोज़ बनाने के भी चरगेस हैं। 

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था “मैं जब गुजरात में मुख्य मंत्री था, तब विधान सभा में जो प्रश्न पूछे जाते हैं उसकी सूची पहले ही विधान सभा मे दे दी जाती है, उस प्रश्न की बारी आने के पहले ही मैं वो काम करवा दिया करता था ताकि प्रश्न के जवाब में कार्य कब होगा की बजाय कार्य हो चुका बताया जा सके।”

कांठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती !!!

विपक्ष को यह समझना होगा कि नरेंद्र मोदी की कार्यशैली क्या है। 

विपक्ष, अपनी 273 सीट न ला सकने कि विफलता के कारणों को ढूँढने की बजाए  केवल यह साबित करने में व्यस्त है  कि भाजपा की सीटें 303 से घट कर 240 हो गई है इसलिए नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। 

परंतु देश की सबसे पुरानी पार्टी और एक समय में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद 99 सीट में सिमट कर रह जाने वाली पार्टी जो 3 बार से जनता द्वारा अस्वीकार कर दी जा रही है तथा पिछले 30 साल से पूर्ण बहुमत में नहीं ला पाई क्या उसे आत्म-समीक्षा की जरूरत नहीं ??  

विपक्ष एक बार डीप फेक विडिओ चला के अफवाह उड़ा के काम चला सकता है लेकिन विपक्ष के  इस हरकत से अब भाजपा भी हरकत में आ गई है। और इसका काट जल्द ही निकाल लिया जाएगा। 

विपक्ष को अब समझना होगा कि भाजपा अपनी गलतियों से सबक लेने वाली पार्टी है । अपने कमियों को ढूंढ कर उसमें तत्काल काम करने वाली पार्टी है, अपने अति-उत्साह, अति-आत्मविश्वास में लिए गए गलत कदम में तत्काल सुधार कर उसे न दोहराने वाली पार्टी है। 

सबसे जरूरी भाजपा “Revenge is best served cold” में यकीन करने वाली पार्टी है। 

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